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सीरिया में 44 साल बाद विद्रोहियों ने बदला झंडा, जानिए इसके रंगों और सितारों का महत्व

सीरिया में 44 साल बाद विद्रोहियों ने देश का राष्ट्रीय झंडा बदल दिया है। नया झंडा हरे, सफेद, काले रंग की पट्टियों और तीन लाल सितारों से सजा हुआ है, जो सीरिया की क्रांति और संघर्ष का प्रतीक है। यह झंडा अब दिल्ली सहित दुनिया भर के सीरियाई दूतावासों में लहराया जा रहा है।
सीरिया में 44 साल बाद विद्रोहियों ने बदला झंडा, जानिए इसके रंगों और सितारों का महत्व
सीरिया, एक ऐसा देश जिसने कई सालों तक युद्ध, संघर्ष और आंतरिक तबाही को सहा, अब एक नई दिशा की ओर बढ़ रहा है। पिछले 44 सालों से बशर अल-असद के शासन का प्रतीक बना हुआ झंडा, जिसे सीरिया का राष्ट्रीय ध्वज माना जाता था, अब विद्रोहियों के नए झंडे से बदल दिया गया है। यह कदम सीरिया में गहरे बदलाव का प्रतीक है और देश में एक नई शुरुआत की ओर इशारा करता है। सीरिया में चल रहे संघर्ष ने न केवल शासन को पलट दिया, बल्कि पूरे राष्ट्र की पहचान और विचारधारा में भी बदलाव किया है।
विद्रोहियों के झंडे में बदलाव
जब हम पुराने और नए झंडे का तुलनात्मक अध्ययन करते हैं, तो हमें यह समझ में आता है कि दोनों में अधिक अंतर नहीं है। हालांकि, विद्रोहियों के झंडे में एक बड़ा बदलाव यह है कि उसमें तीन लाल सितारे शामिल किए गए हैं, जो सीरिया की क्रांति का प्रतीक बन चुके हैं। पुराने झंडे में ये सितारे हरे थे, लेकिन अब यह बदलाव दर्शाता है कि सीरिया के लोग अपनी कठिनाईयों और संघर्षों से उबरने के लिए तैयार हैं। विद्रोहियों का झंडा चार रंगों में विभाजित होता है – हरा, सफेद, काला और लाल। हर रंग का अपना विशेष अर्थ है

हरा रंग: यह आशा और स्वतंत्रता का प्रतीक है, जो नागरिकों के बीच बेहतर भविष्य की उम्मीद जगाता है।
सफेद रंग: यह शांति और अच्छे भविष्य का प्रतीक है, जो सीरिया के लिए नयापन और बेहतर बदलाव की ओर इशारा करता है।
काला रंग: यह उन मुश्किलों और संघर्षों को दर्शाता है, जो सीरिया की जनता ने बीते वर्षों में झेले हैं।
तीन लाल सितारे: यह सीरिया में चल रही क्रांति और विद्रोह की प्रतीक हैं, जो लोगों के संघर्ष और साहस को दर्शाते हैं।
विद्रोहियों का झंडा अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर
सीरिया में विद्रोहियों द्वारा पुराने राष्ट्रीय ध्वज को बदलने का कदम केवल सीरिया तक सीमित नहीं रहा। दिल्ली में स्थित सीरिया के दूतावास ने भी अपना पुराना झंडा हटा कर अब विद्रोहियों का झंडा लहरा दिया है। यह कदम भारत में सीरिया के राजनयिकों द्वारा विद्रोही गुट की सरकार को मान्यता देने का संकेत है। इसके अलावा, सऊदी अरब, बर्लिन, इस्तांबुल और एथेंस जैसे प्रमुख शहरों में भी विद्रोहियों का झंडा लहराया जा रहा है। यह दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अब असद शासन के खिलाफ विद्रोहियों की सरकार को महत्वपूर्ण स्थान मिल रहा है। इन शहरों में ध्वज परिवर्तन ने सीरिया के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत की है।
सीरिया में 2011 से 2024 तक संघर्ष
सीरिया में संघर्ष का प्रारंभ 2011 में हुआ था, जब बशर अल-असद की सरकार ने लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों को क्रूरता से दबा दिया। शुरू में यह एक शांतिपूर्ण विरोध था, लेकिन असद सरकार द्वारा इसके खिलाफ हिंसा की प्रतिक्रिया ने इसे गृहयुद्ध में बदल दिया। धीरे-धीरे कई विद्रोही गुट एकजुट हुए और असद सरकार के खिलाफ संघर्ष तेज हुआ। यह संघर्ष 13 वर्षों तक चला, जिसमें लाखों लोग अपनी जान गवां बैठे और करोड़ों लोग विस्थापित हो गए। 2024 में जाकर विद्रोही गुटों ने दमिश्क पर कब्जा कर असद सरकार को उखाड़ फेंका। इस दौरान बशर अल-असद और उनका परिवार रूस भाग गए, जहां उन्हें शरण प्राप्त हुई। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उन्हें सुरक्षा प्रदान की और उनके परिवार को वहां शरण दिया।

नया झंडा केवल एक रंगीन ध्वज नहीं है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। सीरिया के लोग अब अपनी आजादी और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में इस ध्वज को गर्व से फहराते हैं। यह बदलाव सीरिया के संघर्ष को खत्म करने और शांति स्थापित करने के प्रति एक मजबूत संदेश देता है। विद्रोहियों का यह झंडा न केवल देश के भीतर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सीरिया के बदलते हालात को दर्शाता है। अब दुनिया भर में सीरिया के नए राजनीतिक परिदृश्य को स्वीकार किया जा रहा है, और सीरिया के लोग उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में उनका देश शांति और समृद्धि की ओर बढ़ेगा।

सीरिया में हुए बदलाव और झंडे के परिवर्तन ने यह साफ कर दिया है कि विद्रोही गुट केवल सत्ता में परिवर्तन नहीं ला रहे, बल्कि वे सीरिया के हर नागरिक के लिए एक नया भविष्य, नई उम्मीद और एक बेहतर कल की ओर बढ़ रहे हैं। इस बदलाव ने पूरे देश को एक नए युग में प्रवेश कराया है, जहां लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं और एक स्वतंत्र, शांतिपूर्ण सीरिया की कामना कर रहे हैं।
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