बांग्लादेश को घेरने के लिए भारत का ये प्लान चकनाचूर कर देगा !
भारत के जवान म्यांमार के लोगों के लिए किसी देवदूत से कम बनकर नहीं पहुंचे हैं…और सेना का साथ देने के लिए वहां काम कर रहे हैं ये Robotic Dog..पूरी मेटल बॉडी, 4 पैर, जानवर सी रफ़्तार, और भारतीय सेना का नया साथी Mule..उन इमारतों में जाकर लोगों को खोज रहा हैं जो पूरी तरह से झुक गई हैं और जहां जाना ख़तरे से ख़ाली नहीं है

भीषण भूकंप की चपेट में आए भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में तबाही का मंज़र हर ओर है..बड़ी बड़ी इमारतों के ताश के पत्तों की तरह ढह जाने से हज़ारों लोगों की जान जा चुकी है..लेकिन इस मुश्किल की घड़ी में भारतीय सेना हर मदद के लिए म्यांमार में मौजूद है..भारत के जवान म्यांमार के लोगों के लिए किसी देवदूत से कम बनकर नहीं पहुंचे हैं. और सेना का साथ देने के लिए वहां काम कर रहे हैं ये Robotic Dog. पूरी मेटल बॉडी, 4 पैर, जानवर सी रफ़्तार, और भारतीय सेना का नया साथी Mule. उन इमारतों में जाकर लोगों को खोज रहा हैं जो पूरी तरह से झुक गई हैं और जहां जाना ख़तरे से ख़ाली नहीं है। इसलिए अब Robo MUle ने मोर्चा संभाल लिया है.यहीं नहीं इसी के साथ ये छोटे से ड्रोन भी सेना की मदद के लिए लगे हुए हैं. इन ड्रोन को नैनो ड्रोन कहा जाता है. जो इन खतरनाक इमारतों में जाकर LIVe तस्वीरें भेजते हैं जिससे बिल्डिंग के अंदर की स्थिति का पता चल जाता है.भारतीय सेना ने म्यांमार के लोगों के लिए चिकित्सा व्यवस्था दी इसके लिए तेजी से अस्थायी बेड का फील्ड अस्पताल स्थापित कर दिए गए जिसमें अब तक क़रीब 2000 लोगों का इलाज हो चुका है.ऑपरेशन ब्राह्मा के तहत सेना ने बेहद तेज़ी से म्यांमार तक मदद पहुंचाई है. लेकिन इसके पीछे भारत की एक बड़ी रणनीति भी है..हां ये बात ठीक है कि भारत अपने किसी भी पड़ोसी को मुश्किल में नहीं छोड़ता. मदद के लिए वो सबसे आगे खड़ा रहता है.लेकिन म्यांमार को साथ लेकर भारत अपने ख़िलाफ़ षड्यंत्र रचने वाले बांग्लादेश की क्लास लगाना चाहता है.
भारत और म्यांमार के बीच फंसे बांग्लादेश में बैठे यूनुस ने जब चीन जाकर भारत के राज्यों के ख़िलाफ़ अपनी
ख़तरनाक सोच को सामने रखा तब से ही युनूस की अकल ठिकाने लगाने का काम जारी है. इसलिए भारत अब जल्द से जल्द कालादान प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहता है.कालादान मल्टी मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट ये एक ऐसा प्रोजेक्ट है जो समंदर, नदी और फिर ज़मीन के रास्ते भारत के बाकि राज्यों को पूर्वोत्तर राज्यों से और मज़बूती से जोड़ेगा ये प्रोजेक्ट कोलकाता से म्यांमार के सित्तवे पोर्ट होते हुए मिज़ोरम तक जाएगा। इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने के बाद भारत के उत्तर पूर्व राज्यों से बाकी देश से जोड़ने के लिए एक और वैकल्पिक रास्ता मिल जाएगा. ये प्रोजेक्ट भारत के लिए बेहद ज़रूरी है .22 किलोमीटर चौड़े और 60 किलोमीटर लंबा सिलीगुड़ी कॉरिडोर यानी भारत का चिकन नेक ही बाक़ी राज्यों से उत्तर पूर्व के राज्यों को जोड़ता है लेकिन अगर कभी ये रूट किसी भी वजह से बंद होता है या इसपर रूकावट आती है तो ज़मीनी संपर्क इन राज्यों से कट सकता है..और वैसे भी चिकन नेक पर चीन की नज़र लंबे समय से है…2017 में डोकलाम में चीन की हरकत ने उसकी मंशा को और साफ कर दिया था. उसकी नजर इस सिलीगुड़ी कॉरेडोर पर है. अब बांग्लादेश की यूनुस सरकार भी चीन को खुलेआम लालच दे चुकी है…और इसलिए इसका एक विकल्प जल्द से जल्द तैयार करने की ज़रूरत है .वो है कालादान प्रोजेक्ट
कुल 900 किमी के इस प्रोजेक्ट को 2008 में मंज़ूरी मिली थी उस वक्त इसकी लागत 535.91 करोड़ रुपये आने का अनुमान था लेकिन 2015 में लागत बढ़कर 2904 करोड़ रुपये हो गई इसका पूरा खर्चा भारत उठा रहा है और लेकिन लगातार होती देरी से परेशान भी खूब हो रही है
इसकी डेडलाइन कई बार बढ़ी है, 2021 के आखिर तक पूरा करने की डेडलाइन तय की गई थी लेकिन यह लगातार बढ़ती जा रही है, साथ ही कॉस्ट भी बढ़ रही है अब भारत इसे इसी साल के अंत तक पूरा करने चाहता है
कोलकाता से सित्तवे पोर्ट तक की 539 किलोमीटर की दूरी समंदर के जरिए तय की जाएगी. उसे बाद सित्तवे से म्यांमार के पलेतवा पर कालादान नदी के जरिए 158 किलोमीटर की दूरी तय होगी. उसके बाद 129 किलोमीटर सड़क मार्ग से होते हुए यह प्रोजेक्ट भारत के मिजोरम में ज़ोरिनपुई तक पहुंचेगा. ज़ोरिनपुई से भारत में 88 किलोमीटर की सड़क लॉन्गतलाई पर खत्म होगी
देरी की सबसे बड़ी वजह म्यांमार के रखाइन प्रांत पर आराकान आर्मी का क़ब्ज़ा है..कई जगह कालादान प्रोजेक्ट पर काम आराकान आर्मी के दखल से रुका हुआ है सितवे पोर्ट म्यांमार के रखाइन प्रांत में हैं, जहां आराकान आर्मी की बड़ी ताकत है हालांकि आराकान आर्मी विदेशी निवेश के लिए राजी है लेकिन वह कच्चे माल में भारी टैक्स लगा रही है जिससे काम करना मुश्किल हो रहा है
म्यांमार में चीन ने बड़ा इंवेस्टमेंट भी किया है इसे काउंटर करने के लिए अब भारत ने अपनी पूरी ताक़त वहां झोंक दी है…कालादान प्रोजेक्ट के पूरा होते ही..बांग्लादेश का खेल लगभग ख़त्म हो जाएगा
Input: IANS