अमेरिकी चुनाव 2024: कमला हैरिस बनाम डोनाल्ड ट्रंप, कौन बनेगा अगला राष्ट्रपति?
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का समय नजदीक आ गया है, और इस बार का मुकाबला ऐतिहासिक और दिलचस्प होने वाला है। साल 2024 के इस चुनावी दौर में अमेरिकी जनता को एक बेहद कठिन और निर्णायक चुनाव का सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा स्थिति में डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति कमला हैरिस मैदान में हैं, जिनकी टक्कर पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप से हो रही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का दौर अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है, और वॉइट हाउस की रेस में प्रमुख उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। इस बार डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति कमला हैरिस मैदान में हैं, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रिपब्लिकन पार्टी से उम्मीदवार हैं। अमेरिकी नागरिकों के बीच इस बार का चुनाव बेहद असामान्य और महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की तारीख संविधान द्वारा तय होती है, जिसके अनुसार चुनाव नवम्बर के पहले सोमवार के बाद आने वाले मंगलवार को आयोजित किया जाता है। इस बार चुनाव 5 नवंबर, मंगलवार को होगा। यह चुनाव अमेरिकी नागरिकों के लिए वॉइट हाउस में अगले चार सालों के लिए नेतृत्व चुनने का मौका है।
प्रारंभिक मतदान और रिकॉर्ड
चुनाव से पहले ही इस बार रिकॉर्ड संख्या में मतदाता अपने मतपत्र डाल चुके हैं। अनुमान के मुताबिक, अब तक 4.1 करोड़ से अधिक मतदाता पहले ही मतदान कर चुके हैं। यह आंकड़ा इस बार के चुनाव को और भी खास बनाता है, क्योंकि यह इशारा करता है कि अमेरिकी नागरिक इस चुनाव को लेकर बेहद उत्सुक और सजग हैं।
बाइडन का नाम वापसी और कमला हैरिस की एंट्री
इस बार का चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपनी उम्मीदवारी से नाम वापस ले लिया था। पार्टी के दबाव के चलते, बाइडन ने राष्ट्रपति की रेस छोड़ दी, जिसके बाद डेमोक्रेटिक पार्टी ने कमला हैरिस को अपना उम्मीदवार बनाया। हैरिस ने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बनने के बाद से ही हर सर्वेक्षण में ट्रंप को कड़ी टक्कर दी है, जिससे उनकी लोकप्रियता और मजबूती का अंदाजा लगाया जा सकता है।
अमेरिका में चुनावी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि 5 नवंबर को वोटिंग समाप्त होते ही मतगणना शुरू हो जाएगी। हालांकि, अंतिम नतीजे आने में कुछ दिन लग सकते हैं, क्योंकि हर राज्य की गिनती अलग समय पर शुरू होती है और इलेक्टोरल कॉलेज के परिणाम तय करने में थोड़ा वक्त लग सकता है।
इलेक्टोरल कॉलेज का महत्व
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में सीधे तौर पर नहीं बल्कि इलेक्टोरल कॉलेज के माध्यम से राष्ट्रपति चुना जाता है। हर राज्य में जीतने वाला उम्मीदवार राज्य के इलेक्टोरल वोट प्राप्त करता है। जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार को कम से कम 270 इलेक्टोरल वोट हासिल करने होते हैं। 2020 के चुनाव में, चार दिन बाद जो बाइडन की जीत की पुष्टि पेंसिल्वेनिया राज्य के परिणामों के आधार पर हुई थी।
ट्रंप-हैरिस के बीच संघर्ष
जैसे ही 270 का आंकड़ा किसी उम्मीदवार द्वारा पार किया जाता है, मीडिया हाउस और अन्य एजेंसियां राष्ट्रपति का नाम घोषित करने में सक्रिय हो जाती हैं। 2016 में, हिलेरी क्लिंटन ने अगले दिन सुबह हार स्वीकार कर ली थी। हालांकि, इस बार का चुनाव अधिक प्रतिस्पर्धात्मक और गंभीर माना जा रहा है, इसलिए नतीजे आने के बाद हार-जीत के दावों पर ज्यादा बहस होने की संभावना है। हालांकि 20 जनवरी को चुने गए उम्मीदवार को आधिकारिक तौर पर शपथ दिलाई जाएगी और वह वॉइट हाउस में पदभार संभालेंगे। इसके साथ ही, 6 जनवरी 2025 तक अमेरिकी कांग्रेस द्वारा चुनावी परिणाम की आधिकारिक पुष्टि भी की जाएगी।
इस बार का चुनाव क्यों है खास?
2024 का यह चुनाव कई मायनों में विशेष है। डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस पहली अश्वेत महिला उम्मीदवार हैं, जो अपने अनुभव और लोकप्रियता के दम पर ट्रंप को चुनौती दे रही हैं। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप, जो पहले ही एक बार राष्ट्रपति रह चुके हैं, वापसी की कोशिश में हैं। दोनों के बीच की प्रतिस्पर्धा के चलते यह चुनाव अमेरिकी नागरिकों के लिए सिर्फ एक राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है।
अमेरिका की चुनाव प्रणाली दुनिया भर में अनोखी मानी जाती है। यहां हर नागरिक के वोट से सीधे राष्ट्रपति नहीं चुना जाता, बल्कि इलेक्टोरल कॉलेज के माध्यम से यह प्रक्रिया पूरी होती है। इसके लिए हर राज्य का अपना एक महत्व होता है। इस प्रणाली की वजह से चुनाव के नतीजे कभी-कभी चौकाने वाले हो सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 में न केवल अमेरिकी नागरिकों की भागीदारी दिख रही है, बल्कि इसका असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महसूस किया जा रहा है। चाहे वो घरेलू नीति हो या विदेशी संबंध, इन चुनावों का प्रभाव बहुत दूरगामी हो सकता है।