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ईरानी को लेकर क्या था इजरायल का मकसद, आखिर क्या थी इस हमले के पीछे बेंजामिन नेतन्याहू की रणनीति?

इजरायल ने ईरान के मिलिट्री ठिकानों पर हाल ही में हवाई हमले किए, जिसे इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सफल करार दिया है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता बताया, जिससे इजरायल की सुरक्षा रणनीति को मजबूती मिली है। इन हमलों में ईरान को संभावित रूप से काफी नुकसान हुआ है।
ईरानी को लेकर क्या था इजरायल का मकसद, आखिर क्या थी इस हमले के पीछे बेंजामिन नेतन्याहू की रणनीति?
मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच की प्रतिद्वंद्विता हमेशा से ही अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का केंद्र रही है। हाल ही में, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान पर हमला कर इसे एक “सफल मिशन” बताया। इस लेख में हम समझेंगे कि इस हमले के पीछे नेतन्याहू की क्या रणनीति थी और इसका क्षेत्रीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
इजरायल का सुरक्षा मकसद
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस हमले का उद्देश्य स्पष्ट किया है—ईरान के उन सैन्य ठिकानों को नष्ट करना जो इजरायल की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। इजरायल हमेशा से ईरान के परमाणु कार्यक्रम और उसकी सैन्य गतिविधियों को अपने अस्तित्व के लिए ख़तरे के रूप में देखता है। इसलिए, नेतन्याहू की यह कार्रवाई, उनकी ‘आत्मरक्षा’ नीति के तहत थी, जिसमें वे अपने देश की सुरक्षा को सबसे ऊपर रखते हैं।
हमले के पीछे नेतन्याहू की रणनीति
नेतन्याहू की विदेश नीति का एक अहम हिस्सा है कि किसी भी खतरे को बढ़ने से पहले ही नष्ट कर दिया जाए। ईरान के साथ लंबे समय से तनावपूर्ण रिश्तों के कारण, नेतन्याहू हमेशा से ही सख्त कदम उठाते रहे हैं। यह हमला भी इसी रणनीति का हिस्सा है। उनके अनुसार, यह हवाई हमला एक 'प्रिवेंटिव स्ट्राइक' थी, जिसका मकसद संभावित खतरों को पहले ही समाप्त कर देना था। इस तरह की कार्रवाइयों से नेतन्याहू ने संदेश दिया कि इजरायल अपनी सुरक्षा के लिए कोई समझौता नहीं करेगा।
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया
इस हमले के बाद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में तीव्र प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ देशों ने इसे क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा देने वाला कदम बताया। लेकिन इजरायल के करीबी मित्र देशों ने इस कदम का समर्थन करते हुए इसे ‘आत्मरक्षा का अधिकार’ माना। अमेरिका जैसे देशों ने इजरायल की सुरक्षा नीति का समर्थन किया, लेकिन साथ ही मध्य पूर्व में तनाव कम करने की भी अपील की।
ईरान की प्रतिक्रिया 
ईरान ने इस हमले की निंदा करते हुए इसे ‘अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन’ बताया और कहा कि वह अपनी रक्षा के लिए हर कदम उठाने को बाध्य है। ईरानी सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने इस हमले के बारे में कहा कि इसे ज्यादा गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं, पर इसे कम आंकना भी ठीक नहीं होगा।

ईरान ने यह भी कहा कि इजरायल इस तरह के हमलों से अपनी आंतरिक समस्याओं से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है। विशेषज्ञों की माने तो इस तरह के कदम दोनों देशों के बीच संघर्ष को और भी बढ़ा सकते हैं, जिससे पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में अस्थिरता फैल सकती है।
नेतन्याहू की विदेश नीति का विश्लेषण
नेतन्याहू की यह रणनीति ‘सख्ती से जवाब’ की है, जिसमें वह हर उस तत्व को नष्ट करने की नीति अपनाते हैं, जो इजरायल की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। यह नीति न सिर्फ इजरायल की रक्षा करती है, बल्कि क्षेत्र में उसकी ताकत को भी साबित करती है। नेतन्याहू का मानना है कि ईरान को दबाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ कूटनीतिक प्रयास जारी रखना जरूरी है, लेकिन इससे पहले इजरायल को खुद अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।

इजरायल और ईरान के बीच का यह ताजा तनाव कोई नया नहीं है, लेकिन इसका असर पूरे मध्य पूर्व में महसूस किया जा सकता है। नेतन्याहू की आक्रामक सुरक्षा नीति से स्पष्ट है कि इजरायल अपने सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। यह घटनाक्रम आने वाले समय में मध्य पूर्व में और भी गहरी अस्थिरता ला सकता है, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसके प्रभाव दिख सकते हैं।
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