बांग्लादेश का चीन से फाइटर जेट खरीदना भारत के लिए क्यों है चिंता का विषय
बांग्लादेश अपनी वायुसेना को ताकतवर और आधुनिक बनाने की कोशिशों में लगा है। इसके लिए वह चीन की तरफ देख रहा है। आईडीआरडब्ल्यू के मुताबिक, बांग्लादेश एयर फोर्स के एयर चीफ मार्शल हसन महमूद खान ने कहा, "हम फाइटर जेट और हमलावर हेलीकॉप्टर हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।"
बांग्लादेश अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने और आधुनिक तकनीक से लैस करने के लिए चीन से मल्टीरोल फाइटर जेट्स खरीदने की योजना बना रहा है। यह कदम भारत सहित दक्षिण एशिया के अन्य देशों के लिए सुरक्षा संबंधी चिंताओं को बढ़ा रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश ने चीन के चेंगदू जे-10सी मल्टीरोल फाइटर जेट्स खरीदने की योजना बनाई है। बांग्लादेश एयर फोर्स के चीफ एयर मार्शल हसन महमूद खान ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि उनकी सरकार वायुसेना को सशक्त बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। शुरुआती चरण में ढाका सरकार 16 जे-10सी फाइटर जेट्स खरीदने की योजना बना रही है।
जे-10सी विमान अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं, जिनमें सक्रिय इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार, सुपरसोनिक गति, और लंबी दूरी तक हमला करने की क्षमता है। यह कदम बांग्लादेश के सैन्य आधुनिकीकरण के उद्देश्य का हिस्सा है, लेकिन भारत के लिए यह रणनीतिक चिंता का कारण बन रहा है।
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर असर
बांग्लादेश का चीन की तरफ झुकाव, खासकर सैन्य सहयोग के मामले में, भारत के लिए कूटनीतिक और सामरिक चुनौती है। भारत और बांग्लादेश के बीच लंबे समय से घनिष्ठ संबंध रहे हैं। भारत ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और अब भी बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में अहम योगदान करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के साथ बढ़ती नजदीकी और पाकिस्तान का अप्रत्यक्ष समर्थन, बांग्लादेश को भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने वाले मोहरे के रूप में बदल सकता है।
रक्षा विशेषज्ञ पी.के. सहगल का मानना है कि चीन और पाकिस्तान के इस कूटनीतिक खेल का सीधा असर भारत के नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र पर पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “चीन और पाकिस्तान का मकसद है कि भारत के नॉर्थ ईस्ट में दोबारा अशांति पैदा हो। अगर बांग्लादेश का झुकाव इन दोनों देशों की तरफ बढ़ता है तो यह भारत की सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा हो सकता है।”
बांग्लादेश को चीन पर निर्भरता से नुकसान
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था बड़े स्तर पर भारत पर निर्भर है। विशेष रूप से, टेक्सटाइल उद्योग, जो बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, का कच्चा माल भारत से आता है। इसके अलावा, भारत बांग्लादेश को गैस, ऊर्जा और अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओं की आपूर्ति करता है। अगर बांग्लादेश ने चीन पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता बढ़ाई तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
सहगल ने आगे कहा, “चीन का इतिहास खराब सामान बेचने का रहा है। उनके बनाए हथियार और उपकरण लंबे समय तक टिकाऊ नहीं होते। बांग्लादेश को यह समझना चाहिए कि भारत उसका सबसे भरोसेमंद सहयोगी है। चीन से हथियार खरीदना उसे सिर्फ अस्थायी लाभ देगा, लेकिन दीर्घकालिक नुकसान भारत के साथ संबंधों में खटास के रूप में होगा।”
चीन की “Debt Trap” नीति का खतरा
चीन ने पिछले कुछ वर्षों में कई छोटे और विकासशील देशों को ऋण जाल में फंसाने की रणनीति अपनाई है। पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल इसके प्रमुख उदाहरण हैं। बांग्लादेश को फाइटर जेट्स की खरीद के लिए चीन से वित्तीय मदद लेनी पड़ सकती है, जो भविष्य में उसे ऋण के जाल में फंसा सकता है।
भारत को सावधान रहने की जरूरत
भारत को इस स्थिति में कूटनीतिक तरीके से निपटने की आवश्यकता है। भारत सरकार को बांग्लादेश के साथ व्यापारिक और रणनीतिक संबंध और मजबूत करने होंगे। इसके अलावा, नॉर्थ ईस्ट में सुरक्षा बढ़ाना और चीन-पाकिस्तान के गठजोड़ को कमजोर करने की दिशा में कदम उठाने होंगे। बांग्लादेश को भी यह समझना चाहिए कि चीन और पाकिस्तान जैसे देशों पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता उसकी संप्रभुता और स्थिरता के लिए खतरनाक हो सकती है। भारत के साथ संबंध बिगड़ने से उसकी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
बांग्लादेश का चीन से फाइटर जेट्स खरीदने का फैसला दक्षिण एशिया की भू-राजनीतिक स्थिति को और जटिल बना सकता है। यह भारत के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि उसे अपनी सीमाओं और रणनीतिक भागीदारियों पर अधिक ध्यान देना होगा। वहीं, बांग्लादेश को भी यह तय करना होगा कि वह अपने दीर्घकालिक सहयोगी भारत के साथ अच्छे संबंध बनाए रखते हुए, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के दबाव से बच सके।