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क्या अमेरिका भारतीय RAW को ब्लैकलिस्ट करेगा? जानिए सच्चाई और पूरा मामला

भारत की खुफिया एजेंसी RAW (Research and Analysis Wing) दुनिया की सबसे ताकतवर जासूसी एजेंसियों में से एक मानी जाती है। हाल ही में अमेरिकी आयोग ने RAW पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है, जिसमें दावा किया गया है कि यह एजेंसी सिख अलगाववादियों की हत्याओं में शामिल है। लेकिन क्या अमेरिका वास्तव में भारत की इस शक्तिशाली एजेंसी पर बैन लगा सकता है?
क्या अमेरिका भारतीय RAW को ब्लैकलिस्ट करेगा? जानिए सच्चाई और पूरा मामला
भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) को दुनिया की सबसे रहस्यमयी और ताकतवर एजेंसियों में गिना जाता है। यह एजेंसी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के हितों की रक्षा करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए काम करती है। हाल ही में अमेरिका में भारत को लेकर जो बयान दिए गए हैं, उन्होंने एक नई बहस छेड़ दी है। अमेरिका ने न केवल धार्मिक स्वतंत्रता पर भारत को ज्ञान देने की कोशिश की, बल्कि RAW पर भी प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की। इसका आधार कुछ आरोप हैं, जिनमें RAW पर सिख अलगाववादियों की कथित हत्या में शामिल होने का दावा किया गया है। लेकिन सवाल उठता है – क्या अमेरिका सच में RAW पर बैन लगा सकता है? और अगर ऐसा होता है, तो इसके क्या नतीजे होंगे? आइए इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।

क्या अमेरिका RAW पर प्रतिबंध लगा सकता है?

अमेरिकी आयोग USCIRF (United States Commission on International Religious Freedom) ने हाल ही में भारतीय एजेंसी RAW पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। हालांकि, यह सिर्फ एक सिफारिश है और इसका कोई बाध्यकारी प्रभाव नहीं होता। यह पहली बार नहीं है जब USCIRF ने भारत को लेकर इस तरह के बयान दिए हैं। इससे पहले भी इस आयोग ने भारत को लेकर कई विवादास्पद बातें कही हैं, लेकिन अमेरिकी सरकार ने इन्हें हमेशा नजरअंदाज किया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका द्वारा RAW पर प्रतिबंध लगाने की संभावना न के बराबर है, क्योंकि भारत और अमेरिका के संबंध वैश्विक रणनीति और सुरक्षा नीतियों के लिहाज से काफी मजबूत हैं।

कितनी ताकतवर है RAW?

RAW भारत की सबसे गोपनीय खुफिया एजेंसी है, जिसकी स्थापना 1968 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में हुई थी। इसके पहले प्रमुख रामेश्वर नाथ काव थे, जिन्होंने इसे एक मजबूत एजेंसी के रूप में स्थापित किया। RAW का मुख्य उद्देश्य विदेशों में खुफिया जानकारी एकत्र करना, आतंकवाद से निपटना, भारत के दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखना और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। यह एजेंसी सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती है और इसका संचालन पूरी तरह से गोपनीय रखा जाता है।

RAW के सबसे बड़े ऑपरेशन्स

RAW ने अपनी स्थापना के बाद से ही कई बड़े और सफल मिशनों को अंजाम दिया है। इनमें से कुछ ऑपरेशन इतने गुप्त थे कि दुनिया को उनकी जानकारी सालों बाद मिली। आइए नजर डालते हैं RAW के कुछ प्रमुख मिशनों पर:

1. ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा (1974)
भारत का पहला परमाणु परीक्षण पोखरण में किया गया था, जिसे पूरी तरह गोपनीय रखा गया था। RAW की बदौलत अमेरिका, चीन और पाकिस्तान को इसकी भनक तक नहीं लगी और यह ऑपरेशन सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।

2. ऑपरेशन कहुटा (1970-80s)
यह RAW का पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर एक गुप्त मिशन था। इसमें RAW ने पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट की जानकारी इकट्ठा की और भारत को सतर्क किया।

3. ऑपरेशन मेघदूत (1984)
RAW ने भारतीय सेना के साथ मिलकर सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा करने की रणनीति बनाई, जिससे भारत को सामरिक बढ़त मिली।

4. ऑपरेशन कैक्टस (1988)
मालदीव में विद्रोहियों द्वारा सत्ता पलट की कोशिश को नाकाम करने के लिए RAW ने भारतीय सेना को आवश्यक जानकारी दी, जिससे भारत ने मालदीव की मदद की और सरकार बचाई।

5. ऑपरेशन चाणक्य (1990s)
RAW ने कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ को रोकने और अलगाववादियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए यह मिशन चलाया था।

6. ऑपरेशन लीच (1998)
यह ऑपरेशन भारतीय द्वीपों में घुसपैठ कर रहे आतंकवादियों के खिलाफ था, जिसमें RAW ने नेवी और सेना के साथ मिलकर कार्रवाई की।

RAW बनाम CIA: कौन ज्यादा ताकतवर?

दुनिया की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी माने जाने वाली CIA (Central Intelligence Agency) अमेरिका की एजेंसी है, लेकिन RAW के मुकाबले इसका कार्यक्षेत्र ज्यादा खुला है। जबकि RAW पूरी तरह गोपनीय तरीके से काम करता है और उसका नाम तभी सामने आता है जब कोई बड़ा ऑपरेशन दुनिया के सामने आता है। RAW के पास दुनिया के हर कोने में अपने एजेंट होते हैं, जो भारत की सुरक्षा से जुड़े हर संभावित खतरे पर नजर रखते हैं।

अगर अमेरिका वास्तव में RAW पर प्रतिबंध लगाता है, तो इसके गंभीर कूटनीतिक परिणाम हो सकते हैं। इससे भारत और अमेरिका के रणनीतिक संबंधों पर असर पड़ सकता है। अमेरिका को भारतीय खुफिया जानकारी से हाथ धोना पड़ सकता है, जो आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए महत्वपूर्ण होती है। अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक और रक्षा सौदे प्रभावित हो सकते हैं। चीन और पाकिस्तान को भारत के खिलाफ बढ़त मिल सकती है।

ऐसा होने की संभावना बेहद कम है। अमेरिका और भारत दोनों ही मजबूत लोकतंत्र हैं और उनकी रणनीतिक साझेदारी गहरी है। अमेरिका के लिए भारत एक महत्वपूर्ण सहयोगी है, खासकर चीन के बढ़ते प्रभुत्व को रोकने के लिए। इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि RAW पर प्रतिबंध लगने की बात सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट है, जिसका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है। RAW भारत की सबसे शक्तिशाली और रहस्यमयी एजेंसी है, जिसकी ताकत और काम करने के तरीके पर हमेशा पर्दा बना रहता है। लेकिन एक बात तय है – अगर कोई भी देश भारत की संप्रभुता को चुनौती देगा, तो RAW उसे करारा जवाब देने में सक्षम है।
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