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क्या अमेरिका की पहल से बदलेगा इतिहास? ट्रंप और पुतिन की बातचीत पर दुनिया की नजर

रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर दुनिया की निगाहें इस वक्त डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की संभावित बातचीत पर टिकी हुई हैं। ट्रंप ने घोषणा की है कि वह मंगलवार को पुतिन से बातचीत करेंगे, जिससे यह उम्मीद जगी है कि युद्ध समाप्त हो सकता है। हालांकि, अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि अभी भी कई चुनौतियां बाकी हैं।
क्या अमेरिका की पहल से बदलेगा इतिहास? ट्रंप और पुतिन की बातचीत पर दुनिया की नजर
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध क्या अब समाप्ति की ओर बढ़ रहा है? या फिर यह सिर्फ एक और राजनीतिक बयानबाजी है? यह सवाल दुनिया भर के राजनीतिक विश्लेषकों, सैन्य विशेषज्ञों और आम जनता के मन में गूंज रहा है। इसकी वजह है अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का हालिया बयान, जिसमें उन्होंने कहा कि वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मंगलवार को वार्ता करेंगे। क्या यह वार्ता दुनिया को युद्ध के अंधकार से बाहर निकाल पाएगी, या फिर यह भी महज एक राजनीतिक कदम साबित होगी?

ट्रंप-पुतिन वार्ता

ट्रंप ने अपने बयान में कहा, "हम देखना चाहते हैं कि क्या हम युद्ध को समाप्त कर सकते हैं। शायद हम कर सकते हैं, शायद नहीं, लेकिन मुझे लगता है कि हमारे पास एक अच्छा मौका है।" यह बयान ऐसे समय में आया है जब यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध को तीन साल से अधिक हो चुके हैं, और दुनिया इसके समाधान की राह देख रही है। इससे पहले, रूस ने अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ के जरिए ट्रंप को एक संदेश भेजा था, जिसमें युद्ध विराम योजना पर "सतर्क आशावाद" व्यक्त किया गया था। यह संकेत देता है कि रूस कूटनीतिक वार्ता के लिए तैयार हो सकता है, लेकिन क्या यह सिर्फ एक रणनीतिक कदम है या फिर वास्तविक शांति की पहल?

युद्ध विराम पर अमेरिका की स्थिति

ट्रंप की इस पहल पर अमेरिका में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ आई हैं। संडे शो में विदेश मंत्री मार्को रुबियो और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने स्पष्ट किया कि रूस से युद्ध विराम की सहमति लेने से पहले कई जटिल मुद्दों को सुलझाना होगा। यूक्रेन ने हाल ही में 30-दिवसीय अंतरिम युद्धविराम की अमेरिकी योजना को स्वीकार कर लिया है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह दीर्घकालिक शांति की ओर बढ़ने वाला कदम होगा या फिर केवल अस्थायी राहत प्रदान करेगा?

क्या जेलेंस्की तैयार हैं समझौते के लिए?

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें रूसी युद्ध को समाप्त करने का "एक अच्छा मौका" नजर आ रहा है। लेकिन उनके इस बयान में एक बड़ी शर्त भी थी—यूक्रेन की संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। जेलेंस्की का स्पष्ट संदेश था कि रूस को उन सभी क्षेत्रों को लौटाना होगा, जो उसने 2022 में युद्ध के दौरान जब्त किए थे। यह मांग रूस के लिए किसी भी वार्ता में सबसे बड़ी बाधा बन सकती है, क्योंकि पुतिन पहले ही 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर चुके हैं और अब चार पूर्वी यूक्रेनी क्षेत्रों पर नियंत्रण रखते हैं।

इतिहास बताता है कि युद्ध केवल तब समाप्त होते हैं जब दोनों पक्षों को यह यकीन हो जाए कि आगे संघर्ष उनके हित में नहीं है। तो क्या ट्रंप और पुतिन की वार्ता वास्तव में युद्ध रोक सकती है? यदि रूस को यह एहसास हो कि युद्ध जारी रखने से उसकी अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय छवि को भारी नुकसान हो रहा है, तो वह शांति वार्ता के लिए तैयार हो सकता है। अमेरिका और नाटो की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी, क्या वे यूक्रेन को रूस के साथ समझौता करने के लिए प्रेरित करेंगे? ट्रंप खुद राजनीतिक रूप से कितने प्रभावशाली हैं? चूंकि वे अभी राष्ट्रपति पद पर नहीं हैं, क्या उनका यह वार्ता प्रस्ताव सिर्फ उनके 2024 चुनावी अभियान का हिस्सा है?

रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की कोशिशें पहले भी कई बार की गई हैं, लेकिन हर बार कुछ न कुछ बाधाएँ आई हैं। इस बार ट्रंप के प्रस्ताव और पुतिन के "सतर्क आशावाद" से नई उम्मीद जरूर जगी है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह वार्ता वास्तविक समाधान लेकर आएगी या यह भी कूटनीतिक जंग का एक और अध्याय बनकर रह जाएगी।

अगले कुछ दिनों में इस पर वैश्विक राजनीति की नजरें टिकी रहेंगी, और यह देखना अहम होगा कि यह वार्ता केवल बयानबाजी बनकर रह जाती है या फिर शांति की ओर पहला ठोस कदम साबित होती है।
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